मालोद ताल्लूक के एक गांव में लगभग 50 गाँवों के भीलों को एकत्र कर उन्हें बताया गया कि शराब पीना पाप है। भीलों को इस बात का आश्चर्य हुआ कि उन्हे ऊंची जाति वालों ने पहले क्यों नही बताया ? उन्होनें आजीवन शराब न पीने की प्रतिज्ञा की और 64 वर्ष बीत गए आज भी अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ है ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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