शनिवार, 13 सितंबर 2008

क्या करें, क्या न करें ?

1- श्री कृष्ण को प्रणाम करके यदि यात्रा प्रारंभ की जाए तो विजय प्राप्त होती है|
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2- सेवा करके भूल जाओ |

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3- जब भी आप उदास हो तब ॐ का उच्चारण करे |

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4- जब परिस्थितिया विपरीत हो तो सब कुछ भगवान पर छोड़ दो |

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5- जब कुछ सन्देह हो , लिख लो ।

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6- हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिये जिसे हम संसार मे देखना चाहते हैं ।

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7- आत्मदीपो भवः । ( अपना दीपक स्वयं बनो । ) — गौतम बुद्ध

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8- आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें ।

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9- छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।

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10- ईश्वर से प्रार्थना करो, पर अपनी पतवार चलाते रहो।

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11- एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।

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12- चींटी से परिश्रम करना सीखें |

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13- रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा । — श्रीराम शर्मा , आचार्य

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14- सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिये |

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15- हँसते हुए जो समय आप व्यतीत करते हैं, वह ईश्वर के साथ व्यतीत किया समय है।

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16- यदि बुद्धिमान हो , तो हँसो ।

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17- जब मैं स्वयं पर हँसता हूँ तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है | -– टैगोर

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18- सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥

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19- वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है।

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20- यदि आपको रास्ते का पता नहीं है, तो जरा धीरे चलें |

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21- दो बच्चों से खिलता उपवन । हँसते-हँसते कटता जीवन ।।

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22- धरती पर है स्वर्ग कहां – छोटा है परिवार जहाँ।

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23- स्वतंत्र वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है। –विनोबा

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24- चिड़ियों की तरह हवा में उड़ना और मछलियों की तरह पानी में तैरना सीखने के बाद अब हमें इन्सानों की तरह ज़मीन पर चलना सीखना है। - सर्वपल्ली राधाकृष्णन

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25- सोचना, कहना व करना सदा समान हो।

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26- यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है ।

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27- नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है | – सुकरात

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28- यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं ।

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29- मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय । — श्रीराम शर्मा , आचार्य

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30- को रुक् , को रुक् , को रुक् ? हितभुक् , मितभुक् , ऋतभुक् । ( कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है , कौन स्वस्थ है ? हितकर भोजन करने वाला , कम खाने वाला , इमानदारी का अन्न खाने वाला )

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31- मानसिक शक्ति का सबसे बडा स्रोत है - दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करना ।

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32- एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है । –

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33- हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु ।

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34- अपनी आंखों को सितारों पर टिकाने से पहले अपने पैर जमीन में गड़ा लो |

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35- वहाँ मत देखो जहाँ आप गिरे। वहाँ देखो जहाँ से आप फिसले.

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36- बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह होता है कि ध्यानपूर्वक यह सुना जाए कि कहा क्या जा रहा है।

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37- बिना जोश के आज तक कोई भी महान कार्य नहीं हुआ।
- सुभाष चंद्र बोस

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38- जो मनुष्य एक पाठशाला खोलता है वह एक जेलखाना बंद करता है।

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39- सच्ची बात को स्वीकार करना मनुष्य का धर्म है।

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40- प्रेम करो सब से, नफरत न करो किसी से।

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41- आराम हराम है।

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