सोमवार, 7 मार्च 2011

आओ आओ सुहागिन नारी

आओ आओ सुहागिन नारि कलश सिर धारण करो । 
आओ सीता लक्ष्मी नारि, कलश सिर धारण करो॥ 

कलश के मुख में विष्णु जी सोहें, 
कंठ में लगकर शंकर सोहें । 
ऐ जी ब्रह्मा सोहें मूलाधार, कलश ....
तेरी चूड़ी अमर हो जाय.....

सात समुद्र का निर्मल जल है, 
सात द्वीप अरू पृथ्वी अंचल है । 
गंगा यमुना की पावन धार,कलश.. ...
तेरो ललना अमर हो जाय, कलश..... 

चारों वेद का ज्ञान भरा है, 
वसुधा और संसार भरा है । 
ये तो मन वांछित दातार , कलश... 
तेरी बिंदिया अमर जो जाय.....

आओ माता बहिनों आओ, 
कलश गीत को मिलकर गाओ । 
ये तो गायत्री सावित्री परिवार कलश.... 
तेरी बिंदिया अमर हो जाय..... 

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