हमारा जीवन रूपी पुष्प हमेशा खिला हुआ रहे, कहीं मुरझा न जाये, इसके लिए निराशा एवं निरुत्साह को पास नहीं फटकने देना चाहिए । सौन्दर्य एवं उल्लास को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए हमें आशा का दीपक अपने उर में जलाकर रखना चाहिए और उसमें श्रेष्ठ, उच्च एवं दिव्य विचारों का घृत डालते रहना चाहिए । (अखण्ड ज्योति सितम्बर-१९७५)
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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