सोमवार, 3 जनवरी 2011

शक्ति का केन्द्रीकरण

नदी में तेज बाढ़ आई, भयंकर शब्द करती हुई चली गई। पीछे उसका कोई भी चिन्ह शेष न रहा। 

फिर वर्षा ऋतु प्रारंभ हुई, एक गड्ढे पर बूँदे ध्यान लगाकर गिरने लगीं। हर बूँद के साथ मिट्टी का एक कण टूटकर अलग हो जाता। बरसात समाप्त हुई, अब वह गड्ढा एक विशाल तालाब बन चुका था। 

जहाँ शक्ति का केन्द्रीकरण होता हैं, जहाँ मिल-जुलकर संपन्न किए जाने वाले अनवरत प्रयत्न किए जाते हैं, वहीं ऐसी उल्लेखनीय सफलता के दर्शन होते है।

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