परम पूज्य गुरूदेव आचार्य श्री राम शर्मा ने एक महान उद्धेश्य ‘युग निर्माण योजना’ की पूर्ति के लिए महान तप किया और लेखनी एवं वाणी का उपयोग किया। उनके विचारों में वह शक्ति हैं-‘‘जो सोए का जगा दे, जागे हुओं को चला दे और चलने वालों को दौड़ा दे।’’ आज जब चारों ओर निकृष्ट चिंतन की भरमार हैं, पूज्यवर के सद्विचारों का प्रचार-प्रसार हमारा युगधर्म या आपद्धर्म होना चाहिए। वे कहते थे-‘‘मैं शरीर नहीं, विचार हूँ । मुझे घर-घर पहुँचा दे।’’
अपनी सुक्ष्मीकरण साधना के समय उन्होंने लिखा-‘‘ कार्य कैसे पूरा होगा ? इतने साधन कहा से आएगे ? इसकी चिंता आप न करें। आप तो सिर्फ एक बात सोचें कि अधिकाधिक श्रम व समर्पण करने में एक दूसरे से अग्रणी कौन रहा। विश्राम की बात न सोचे, अहर्निश एक ही बात मन में रहे कि हम पूर्णरूपेण खपकर कितना योगदान दे सकते हैं, कितना भार उठा सकते हैं।’’
परमपूज्य गुरूदेव के मूर्तिमान स्वरूप वांग्मय को घर-घर पहुँचाने के लिए निष्ठावान परिजनों की आवश्यकता हैं। जो भाई इस कार्य हेतु अपने को योग्य समझते हों, निम्नलिखित विवरण सहित अखण्ड ज्योति संस्थान, मथुरा से संपर्क करें।
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अखण्ड ज्योति संस्थान, मथुरा (उत्तरांचल)
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