नीम एक बहुत उपयोगी वृक्ष है । इसकी जड़ से लेकर फूल-पत्ती-कोंपल, फल तक सभी अवयव औषधीय गुणों से भरे-पूरे है। भारतवर्ष के गरीब लोगो के लिए यह एक प्रकार से कल्पवृक्ष है। चैत्र मास में नीम की नई कोपंलो को दस-पंद्रह दिन तक नित्य प्रात:काल चबाकर खाने से रक्त शुद्ध होता है। फोड़े-फुंसी नही निकलते और मलेरिया ज्वर नही आता। नीम की पत्तियों का रस दो चम्मच शहद में मिलाकर प्रात: काल पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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