अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन समय के बड़े पाबंद थे । एक बार उन्होने कुछ विशिष्ट अतिथियों को तीन बजे अपराहृ भोजन के लिए आमंत्रित किया । साढे़ तीन बजे उन्हें सैनिक कमांडरों की आवश्यक बैठक में भाग लेना था। ठीक तीन बजे भोजन तैयार था। टेबल पर लग चुका था, पर मेहमान नही आए । प्रतिक्षा करने के बजाए राष्ट्रपति ने अकेले भोजन प्रारम्भ कर दिया । आधा भोजन समाप्त हो गया, तब मेहमान पहुँचे । उन्हे दु:ख था और अप्रसन्नता भी थी, पर वे भोजन में शामिल हो गए। वाशिंगटन ने समय पर अपना भोजन समाप्त किया एवं उनसे विदा लेकर बैठक में चलें गए। यह घटना `टाइम मैनेजमेंट´ के महत्व को बताती है। आज इसी की सबसे अधिक उपेक्षा होती है। हो सकता है किसी को यह घटना अतिरंजित लगे, पर उस दिन सभी ने अपने राष्ट्रपति की सफलता का मर्म एवं समय का महत्त्व जान लिया ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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