१- बाबा रामदेव ने कहा है कि कपाल भारती और अनुलोम-विलोम जैसे योग के जरिए स्वाइन फ्लू जैसी खतरनाक बीमारी से कारगर ढंग से निपटा जा सकता है। बाबा का दावा है कि सुबह उठकर गहरी सांस लेने से इस फ्लू का वाइरस आप पर हमला नहीं करेगा२- बाबा रामदेव एक सामान्य भारतीय पौधे गिलोए (बेल) का रस पीकर स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। असल में आयुर्वेद में इस बेल का बहुत पहले से प्रयोग हो रहा है और लीवर से जुड़ी बीमारियों में इसका प्रयोग होता रहा है। इसके प्रयोग का तरीका काफी आसान है। बेल की करीब दो इंच मोटी टहनी को तुलसी की पांच पत्तियों के साथ मूसली या किसी और तरीके से कूट लिया जाए और रात को आधा गिलास पानी में डालकर सुबह छानकर पी लिया जाए। यह एक व्यक्ति के लिए है और इसका प्रयोग दिन में एक बार ही काफी है। इसकी टहनी और तुलसी की पत्ती को अच्छी तरह उबालकर भी पीया जा सकता है।
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३- यूनानी में "हुम्मा-ए-वबाईया" - यूनानी चिकित्सा पद्धति में स्वाइन फ्लू को "हुम्मा-ए-वबाईया" नाम से जाना जाता है। इसके अनुसार यह बलगमी बुखार है। राजस्थान यूनानी मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डॉ। परवेज अख्तर वारसी ने बताया कि बचाव के लिए सब्जियों में हींग का उपयोग करें। अजवाइन का पानी उबालकर दिन में दो बार पीएं।
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४- आयुर्वेद में है उपाय - द आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री आयुर्वेद केन्द्र के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ। मणीकांतन एवं डॉ. निशा मणीकांतन ने बताया कि आयुर्वेद में लक्ष्मी तरू की पत्तियों की चाय, तुलसी, आंवला और अमृत प्रतिरक्षा को बढ़ाने का काम करते हैं।--------------------
५- तुलसी के पत्ते हैं कारगर - आध्यात्मिक संत बाबा जयगुरूदेव ने स्वाइन फ्लू के इलाज का देशी नुस्खा सुझाया है। उन्होंने तुलसी के 15-20 पत्ते दो कप पानी में उबालें। इसमें चीनी या नमक नहीं डालें। तीन उबाल आने पर छानकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
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६- होम्योपैथी में भी इलाज - राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डॉ। टी.पी. यादव ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति में बीमारी का डर बैठा हुआ है तो प्राथमिक स्तर पर होम्योपैथी में एकोनाइट और आरसेनिक एलबम दवा ली जा सकती है।
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७- पाँच पत्तियाँ तुलसी तथा पाँच दाने काली मिर्च मुंह में रख कर चबाइए और इसका रस धीरे-धीरे गले से नीचे उतारिये। दिन में तीन बार -सुबह ,दोपहर,शाम यह काम कीजिए और निश्चिंत होकर घूमिये। जितने दिन संभव हो सके यही काम करते रहिये।
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८- होम्योपैथी के अन्टीबायोटिक मदर टिन्क्चर का उपयोग प्रति दिन एक या दो बार अवश्य करें ।छोटे बच्चों को इस मिसरन की ५ से १० बूण्द द्वा किसी मीठे शर्बत में मिलकर या शहद में मिलाकर पिला दें ।
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९- भीड़ भाड़ वाली जगह से लौटने के बाद पहले हाथ और फिर मुंह धोएं।
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१०- डॉक्टरों का कहना है कि खांसने या छींकने या नाक साफ करने के बाद अपने हाथ आंख, नाक और मुंह पर कतई नलगाएं। शरीर के ये हिस्से सबसे ज़ल्दी फ़्लू की चपेट में आते हैं. सावधानी के लिए समय समय पर हाथ धोते रहें।
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११- मेज़, खाना बनाने की जगह, बाथरूम के फ़र्श और कोनों को साफ़ रखें। इन जगहों पर बैक्टरिया आसानी से पनपतेहैं. सफ़ाई के लिए पानी के साथ कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।
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१२- हवा के जरिए फैलने वाले इस तरह के किसी भी विषाणु से स्रुरक्षा पाने का सीधा सा उपाय अपनाइये कि जब भी घर से बाहर निकलें तो जेब में दो-चार कपूर(camphor) की टिकिया डाल लीजिये और यदि मिल जाएं तो तुलसी की चार-पांच पत्तियां मुंह में रख लें।
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१३- लावण्य आयुर्वेदिक हास्पिटल के चेयरमैन अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि शास्त्रों में जिस स्वाइन फ्लू सरीखे रोग का जिक्र है, उसके लक्षणों में - शरीर में भारीपन, शिरा शूल, सर्दी जुकाम, खांसी, बुखार और संधियों में पीड़ा होना है। तीव्रावस्था में यह अवस्था शीघ्रकारी और प्राणघातक सिद्घ हो सकती है। इस अवस्था विशेष को 'मकरी' नाम से जाना जाता है। इसके लिए शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाली औषधियां - गुड़ची, काली तुलसी, सुगंधा आदि का प्रयोग करना चाहिए। रोग के विशिष्ट उपचार के लिए पंचकोल कषाय, निम्बादि चूर्ण, संजीवनी वटी, त्रिभुवन कीर्ति रस, गोदंति भस्म और गोजिहृदत्वात् औषधियां प्रयोग की जाती हैं, लेकिन इनका प्रयोग रोग की अवस्था के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
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१४- होम्योपैथी डॉक्टर पंकज भटनागर के अनुसार स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए जेल्सिमिनम 30 की दस-दस गोलियां दिन में तीन बार लेनी चाहिए। रोग के उपचार के लिए उनका कहना है कि एकोनाइट 30, बेलेडोना 30, आरसेनिक अल्बम 30, रूसटॉक्स 30, नक्सवोमिका 30 और इन्फ्लुऐंजीनम 30 उपयोगी सिद्घ होती हैं। पर ये दवाएं रोग के लक्षण के अनुसार ही लेनी चाहिए।
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१५- अपने हाथ बार बार धोएं कम से कम१५ सेकंड्स तक और बहते स्वच्छपानी मे धोएं।
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१६- कमसे कम ८ घंटे की नींद लें अपने सुरक्षात्मक सिस्टम को ठीक रखने के लिए यह जरुरी है।
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१७- रोज ८ से १० ग्लास पानी पियें
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१८- अल्कोहोल का उपयोग न करें क्योंकि ये आपकी सुरक्षा कम करता है
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१९- लक्षण : स्वाइन फ्लू के लक्षण यू तो सामान्य जुकाम जैसे ही होते है परंतु इससे 100 डिग्री तक की बुखार आती है, भूख कम हो जाती है और नाक से पानी बहता है। कुछ लोगों को गले में जलन, ऊल्टी और डायरिया भी हो जाता है। जिस किसी को भी स्वाइन फ्लू होता है। उसमें उपरोक्त लक्षणों में से कम से कम तीन लक्षण तो जरूर दिखाई देते है।
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२०- बच्चों में लक्षण तेज साँस चलना या साँस लेने में तकलीफ होना। त्वचा के रंग में बदलाव आना अगर बच्चा यथोचित पानी नहीं पी रहा है लगातार उल्टियाँ होना फ्लू जैसे लक्षण और ठीक होने के बाद पुनः बुखार आना और खाँसी की बहुत ज्यादा तकलीफ होना। बच्चों के इस बीमारी की चपेट में आने की आंशका ज्यादा है क्योंकि वे स्कूल में दोस्तों से करीब से मिलते-जुलते हैं, बच्चों को इससे बचाएँ।
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२१- खाँसी या छींक आने पर टिशु पेपर का इस्तेमाल करें एवं उसे तुरंत डस्टबीन में फेंकें।
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२२- भीड़ वाली जगह पर न जाएँ।
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२३- यदि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना भी पड़ता है, तो फेस मास्क या रेस्पिरेटर पहनें।
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२४- आसिलटेमाविर (टेमीफ्लू) नाम की दवा यदि लक्षण आरंभ होने के 48 घंटे के अंदर शुरू की जाए तो सहायक हो सकती है।
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