विष्णु शर्मा की `पंचतंत्र´ की कहानियाँ आज से 18000 वर्ष पूर्व लिखी गई थीं। ये सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षियों को पात्र बनाकर रची गई है। इससे इसकी रोचकता एवं सर्वग्राहृता बढ़ जाती थी । इसके पीछे भी एक इतिहास है। दक्षिण भारत में अमरशक्ति नामक एक राजा था । उसके तीन पुत्र थे -मंदबुद्धि, नटखट व बडे उपद्रवी । नाम था बहुशक्ति, उग्रशक्ति, अनंतशक्ति । उन्हे देखकर राजा बहुत दुखी हुआ । सभासदो के समक्ष उसने अपनी चिंता रखी । विष्णु शर्मा वहाँ उपस्थित थे। उन्होने कहा-``इन्हे आप मेरे घर भेज दें। छ माह में राजनीति में निपुण बनाकर भेज दूगाँ । ´´ राजा ने स्वीकार कर लिया । तीनो की मनोवृति का अध्ययन कर विष्णु ने सोचा कि इन्हे रोचक कथाओं द्वारा शिक्षण दिया जाना चाहिए । खेल-खेल में ये सीख लेंगें । कोई गंभीर शिक्षण यह ग्रहण नही कर सकेगें । उन्होने पशु-पक्षी-पर्यावरण आदि को लक्ष्य कर रोचक कहानियो द्वारा नीति की शिक्षा देना आरंभ किया । तीनों बडे़ चाव से इन कहानियों को सुनते । इन कथाओं में राजनीति का पूरी तरह समावेश किया गया था । धीरे-धीरे उनकी बुद्धि का विकास होता गया एंव छह माह में राज-व्यवहार के नियम समझ गए। ऐसे जन्मा पंचतंत्र, जो आज भी बच्चों में उतना ही लोकप्रिय है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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