एक रात भयंकर तूफान आया । सैकड़ों विशालकाय पुराने वृक्ष धराशायी हो गए। अनेक किशोर वृक्ष भी थे, जो बच गए थे, पर बुरी तरह सकपकाए खड़े थे। प्रात:काल आया, सूर्य ने अपनी किरणें धरती पर फैलाई । ड़रे हुए वृक्षों को देखकर किरणों ने पूछा-``तात! तुम इतना सहमे हुए क्यों हो ? ´´ किशोर वृक्षों ने कहा-``देवियो! ऊपर देखो ,हमारे कितने पुरखे धराशायी पड़े हैं ।रात के तूफान ने उन्हें उखाड़ फेंका । न जाने कब यही स्थिति हमारी भी आ बने।´´ किरणें हँसी और बोलीं-``तात! आओ, इधर देखो ! यह वृक्ष तूफान के कारण नही, जड़े खोखली हो जाने के कारण गिरे। तुम अपनी जड़े मजबूत रखना तुफान तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा।´´
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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