शनिवार, 22 अक्टूबर 2011

सच्ची शिक्षा ...

अक्षर ज्ञान शिक्षा नहीं, शिक्षा से मेरा मतलब हैं बच्चें या मनुष्य की तमाम शारीरिक, मानसिक और नैतिक शक्तियों का सर्वतोंमुखी विकास। अक्षर ज्ञान शिक्षा का न तो आरम्भ हैं और न लक्ष्य हैं। वह तो उन अनेक उपायों में से एक हैं जिनके द्वारा स्त्री-पुरुषों को शिक्षित किया जा सका हैं। खुद अक्षर प्रचार को शिक्षा कहना गलत हैं। सच्ची शिक्षा तो स्कूल छोडने के बाद शुरु होती हैं। जिसने इसका महत्त्व समझा हैं वह सदा ही विद्यार्थी हैं। - महात्मा गांधी

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