जागरुकता की स्थिति में हम अपनी शक्तियों को पहचानते हैं, संभावनाओं से अवगत होते हैं। मनःस्थिति की सही पहचान एवं परिस्थितियों का सार्थक सदुपयोग इसी स्थिति में होता है। साथ ही हम यह भी जान पाते हैं कि मनःस्थिति एवं परिस्थिति के वे अवरोध कौन से है, जिनकी वजह से हम आज तक अपनी संभावनाओं को साकार नहीं कर पाए, स्वयं की शक्तियों को सही अभिव्यक्ति नहीं दे सके, अपनी जिंदगी में सार्थकता की अनुभूति नहीं सँजो सके। इन अवरोधों का निराकरण भी जागरुक होने पर ही बन पडता है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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