आध्यात्मिक काम विज्ञानः- प्रजनन प्रक्रिया के मूल में छिपी पवित्रता को पहचाना जाना चाहिए। नर और नारी दोने मिलकर एक व्यवस्थित शक्ति का रुप धारण करते हैं। जब तक यह मिलन न हो, चेतना व गति उत्पन्न ही न होगी। कामबीज का दुरुपयोग न कर उसका परिष्कार किया जाना चाहिए। नर-नारी का निर्मल सामीप्य ही आध्यात्मिक काम विज्ञान है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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