1) साधना की सीढि़याँ हैं-उपासना, आत्मशोधन, परमार्थ।
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2) साधना का अर्थ है-अपने को अनगढ से सुगढ बनाना।
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3) साधना हमारे अन्तरंग जीवन को पवित्र बनाने की कला है।
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4) साधना हमें सकारात्मक व रचनात्मक बनाती है।-----------------
5) साहसिकता वही सराहनीय हैं, जो आदर्शो के साथ जुडे।-----------------
6) सारे पुण्यो और सद्गुणो की जड सत्य है।-----------------
7) सादा जीवन-उच्च विचार आत्मवादी की प्रथम साधना है।-----------------
8) सादगी और सज्जनता महानता के महत्वपूर्ण अंग हैं।-----------------
9) सावधान रहना, मन पर नियन्त्रण, कार्यकुशलता, उपेक्षा का अभाव, धैर्य, स्मरण रखना और सोच समझ कर कार्य आरम्भ करना यही उन्नति के मूल कारण है।-----------------
10) सोच को बदलो, सितारे बदल जायेंगे। नजर को बदलो, नजारे बदल जायेंगे। कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं, दिशा को बदलो, किनारे बदल जायेंगे।-----------------
11) सोते रहना ही कलियुग हैं, उँघते रहना ही द्वापर हैं, उठ बैठना त्रेता हैं और कार्य में लग जाना सतयुग है। इसलिये काम करो, काम करो।-----------------
12) सोने से पहले और जागने के बाद शान्त रहना चाहिये।-----------------
13) सोने वाले का भाग्य सो जाता हैं, उठने वाले का भाग्य उठ जाता हैं तथा चलने वाले का भाग्य चमक जाता है।-----------------
14) सद्ज्ञान की उपासना का नाम ही गायत्री साधना है।-----------------
15) सद्विचार सत्य को लक्ष्य करके छोड़ा हुआ तीर है।-----------------
16) सद्चिन्तन से ही सद्चरित्रता हस्तगत हो सकती है।-----------------
17) सद्चिन्तन और सद्कर्म द्वारा उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते है।-----------------
18) सद्भावना रखने वाला व्यक्ति सबसे भाग्यवान है।-----------------
19) सद्भावनाओ व सत्प्रवर्त्तियो से जिनका जीवन ओतप्रोत हैं, वह ईश्वर के उतना ही निकट है।-----------------
20) सद्ज्ञान और सत्कर्म यह दो ईश्वर प्रदत्त पंख हैं जिनके सहारे स्वर्ग तक उड सकते है।-----------------
21) सद्गुरु सत्पात्रों को स्वयं ही ढूँढ निकालते है।-----------------
22) सद्गुण साधक को साधने के पथ पर लगाता है।-----------------
23) सद्गुणी का सुखी होना निश्चित है।-----------------
24) सद्गुणो का संग्रह सच्ची कमाई है।-----------------
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