सार्थक जीवन के लिए कल्पनाओं का उपयोग क्या हो ? नलिनी दा के इस सवाल के उत्तर में महर्षि ने कहा था, ‘‘हर व्यक्ति को कुछ बाते ध्यान रखनी चाहिए। सबसे पहली बात-अपनी कल्पनाओं के स्तर को नीचे मत गिरने दो। विषय-विलास, रास-रंग की कल्पनाओं को प्रश्रय मत दो, क्योंकि इनसे मानसिक ऊर्जा का क्षय होता है। जीवनीशक्ति बरबाद होती हैं। दूसरी बात-इस सत्य पर आस्था रखो कि कल्पनाएँ साकार हो सकती है बस, इसके लिए योजनाबद्ध रुप से काम करने की जरुरत है। बिना थके-बिना रुके जो सपने देखता है, कल्पनाएँ करता हैं, इन्हें पूरा करने के लिए अपना सब कुछ निछावर करने का साहस करता हैं, उसके सपने अवश्य पूरे होते हैं। उसकी कल्पनाएँ अवश्य आकार पाती है।"
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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