नरेंद्र न केवल एक अच्छे गायक थे, यंत्र संगीत के भी एक कुशल कलाकार थे । तत्कालीन धु्रपद गायकों से उनने शिक्षा ली थी, पर इसके बावजूद वे एक तैराक, कुशल अश्वारोही एवं मँजे हुए पहलवान भी थे। सभी भारतीय खेलो में सिद्धहस्त थे । वे हनुमान जी से प्रभावित थे। अपने एक भाषण में उनने कहा है-
‘‘सारे भारत में महावीर की पूजा चालू करा दो। दुर्बल जाति के सामने महावीर का आदर्श उपस्थित करो ।
शरीर में बल नही, हृदय में साहस नही तो क्या होगा इन जड़ पिंड़ो से ?
मैं चाहता हूँ, घर-घर महावीर की पूजा हो’’
1 टिप्पणी:
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद
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