आज देश के सामने कोई समस्या आती है तो बरबस मुँह से निकल पड़ता है-‘काश ! आज सरदार पटेल जीवित होते। ’जर्मनी के एकीकरण में जो भूमिका बिस्मार्क ने और जापान के एकीकरण में जो कार्य मिकाडो ने किया, उनसे बढकर सरदार पटेल का कार्य कहा जायेगा, जिनने भारत जैसे उपमहाद्वीप को, विभाजन की आँधी में टुकड़े-टुकड़े हाने से रोका । किस प्रकार देशी राज्यों का एकीकरण संभव हो सका। इस पर विचार करते है तो आश्चर्य होता है। एक-दो नहीं, सैकड़ो राजा भारतवर्ष में विद्यमान थे। उनका एकीकरण सरदार पटेल जैसा कुशल नीतिज्ञ ही कर सकता था। इसी कारण उन्हें लौहपुरुष कहा जाता है।
आज राष्ट्र वैसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है। हमें फिर वैसी ही, उसी स्तर की जिजीविषा वाली शक्तियो की जरुरत है।
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