मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

परिवार - जीवन निर्माण की प्रयोगशाला

तैरना सीखने के लिए तालाब चाहिए । निशाना साधने के लिए बंदूक, पढऩे के लिए पुस्तक चाहिए और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए प्रयोगशाला । यों अपनी आस्थाएँ, मान्यताएँ एकाकी भी बनाई, बदली जा सकती हैं । पर वे खरी उतरी कि नहीं, परिपक्व हुई कि नहीं, इसका परीक्षण भी होना चाहिए । इसके लिए उपयुक्त कसौटी परिवार ही हो सकता है । फिर वह ईश्वर का सींचा हुआ एक बगीचा भी है । उसे भी कर्मठ और कुशल माली की तरह सम्भाला सॅंजोया जाना है । 

विश्व-मानव के चरणों में मनुष्य अपनी श्रेष्ठतम श्रद्धांजलि एक सुसंस्कृत परिवार के रूप में ही तो प्रस्तुत करता है । परिवार निर्माण की प्रक्रिया जहाँ पुनीत उत्तरदायित्व का निर्वाह करती है, वहाँ आत्म-निर्माण का पथ प्रशस्त करने में भी असाधारण रूप से सहायक होती है ।
Book : युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (१.२४)

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