बुधवार, 8 जून 2011

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1976

1. सफलता आत्मविश्वासी को मिलती हैं

2. भाग्य का बीज पुरूषार्थ

3. आत्मा का अस्तित्व झुठलाया न जाय

4. यान्त्रिक जीवन में हमारी खो रही सम्वेदना

5. ब्रह्माण्ड में पदार्थ की तरह चेतन भी भरा पड़ा हैं

6. व्यावहारिक वेदान्त

7. धर्म एक परिष्कृत दृष्टिकोण

8. आत्मिक और भौतिक प्रगति का सन्तुलन

9. अतीन्द्रिय क्षमता और उसके उद्गम स्रोत

10. मनुष्य को कृमि-कीटकों से तो ऊँचा होना ही चाहिए

11. संकीर्ण स्वार्थपरता ही पतन का मूल कारण

12. क्या हम सचमुच ही मर जायेंगे ?

13. अहिंसा कितनी व्यावहारिक कितनी अव्यवहारिक

14. एक आँख दुलार की, एक आँख सुधार की

15. मन्त्र शक्ति और देवसत्ताओं का तारतम्य

16. उपवास-आरोग्य का संरक्षक

17. यथार्थता और एकता में पूर्वाग्रहों की प्रधान बाधा

18. खाद्यान्नों की दुर्गति बनाने वाली दुर्बुद्धि त्यागें

19. आत्म-हत्या पलायन ही नहीं प्रतिशोध भी

20. अपनो से अपनी बात

1 टिप्पणी:

BrijmohanShrivastava ने कहा…

पुराने अंको की जानकारी देकर बहुत अच्छा कार्य कर रहे है माहेश्वरी जी

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