1. सद्ज्ञान की उपलब्धि मनुष्य का श्रेष्ठतम सौभाग्य
2. मनुष्य तुच्छ और घृणित हैं किन्तु दिव्यतम भी
3. शिक्षा की ही नहीं विद्या की भी आवश्यकता समझी जाय
4. व्यक्ति और समाज निर्माण की सत्र शिक्षा पद्धति
5. आशातीत सफलता सम्पन्न प्रत्यावर्तन साधना कुछ समय के लिए स्थगित
6. चिरप्राचीन और चिरनवीन का संगम समन्वय
7. जीवन विद्या-संसार की सर्वोपरि उपलब्धि
8. सर्वतोमुखी सफल जीवन की साधना
9. दस-दस दिनों के जीवन सत्र का बीस फरवरी से शुभारम्भ
10. खोई गरिमा को प्राप्त करने के लिए वानप्रस्थ-परम्परा को पुर्नजागरण
11. महिला जागरण-युग की सबसे प्रमुख आवश्यकता
12. जन मानस को मोड़ने वाली संगीत शिक्षा
13. लोक शिक्षण एवं लेखन कला के संयुक्त शिक्षा सत्र
14. शिक्षार्थियों को आवश्यक ज्ञातव्य
15. जन मानस को व्यापक रूप से प्रभावित करने वाली तीन क्रान्तिकारी योजनायें
16. युगान्तर चेतना के लिए भावभरे अनुदान का आह्वान
17. गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न
2. मनुष्य तुच्छ और घृणित हैं किन्तु दिव्यतम भी
3. शिक्षा की ही नहीं विद्या की भी आवश्यकता समझी जाय
4. व्यक्ति और समाज निर्माण की सत्र शिक्षा पद्धति
5. आशातीत सफलता सम्पन्न प्रत्यावर्तन साधना कुछ समय के लिए स्थगित
6. चिरप्राचीन और चिरनवीन का संगम समन्वय
7. जीवन विद्या-संसार की सर्वोपरि उपलब्धि
8. सर्वतोमुखी सफल जीवन की साधना
9. दस-दस दिनों के जीवन सत्र का बीस फरवरी से शुभारम्भ
10. खोई गरिमा को प्राप्त करने के लिए वानप्रस्थ-परम्परा को पुर्नजागरण
11. महिला जागरण-युग की सबसे प्रमुख आवश्यकता
12. जन मानस को मोड़ने वाली संगीत शिक्षा
13. लोक शिक्षण एवं लेखन कला के संयुक्त शिक्षा सत्र
14. शिक्षार्थियों को आवश्यक ज्ञातव्य
15. जन मानस को व्यापक रूप से प्रभावित करने वाली तीन क्रान्तिकारी योजनायें
16. युगान्तर चेतना के लिए भावभरे अनुदान का आह्वान
17. गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न
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