गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1976

1. प्रगति के आधार-उत्कृष्ट विचार

2. चेतना का पदार्थ जगत पर नियन्त्रण

3. आत्मा में परमात्मा का अवतरण

4. सूक्ष्म दृष्टि, मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि

5. मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति सुधरें

6. साधना समर बनाम जीवन संग्राम

7. विकास प्राणी की इच्छित दिशा में ही होता हैं

8. गीता का प्रतिपाद्य-अनासक्त कर्मयोग

9. वरदान और अभिशाप की पृष्ठभूमि

10. हम अहंकारी नहीं, स्वाभिमानी बने

11. एकाग्रता का दर्शन, महत्व और चमत्कार

12. समय भविष्य की ओर ही नहीं चलता, भूतकाल की ओर भी लौटता हैं

13. अपने आपके साथ सद्व्यवहार

14. कोई काम न तो सरल हैं और न कठिन

15. स्वपन स्थूल और सूक्ष्म जगत के मध्य श्रंखला

16. अधिक खाना स्वास्थ्य को गँवाना ही हैं

17. भोजन की तरह, उपवास भी आवश्यक

18. माताएँ शिशुओं को स्तनपान कराने में संकोच न करें

19. हम कितने समृद्धशाली ?

20. अविज्ञात भूत और अकल्पित भविष्य जानना भी सम्भव हैं

21. अपनो से अपनी बात

22. धर्म और विज्ञान का मिलन

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