1. उपलब्धियों का सदुपयोग करना सीखें
2. भावना सर्वोपरि हैं, विधि-विधान नहीं
3. सहृदयता के संवर्द्धन से ही विश्व कल्याण सम्भव होगा
4. विज्ञान और दर्शन के समन्वय की आवश्यकता
5. हमारी बुद्धिमता भयावह किस्म की मूर्खता सिद्ध न हो
6. प्रकृति का उपहार-अनुदान मक्खी जैसे जन्तुओं को भी मिला हैं
7. दधीची की पुण्य परम्परा फिर प्रचलित की जाय
8. हम पुरखों से हर क्षेत्र में पिछड़ ही नहीं रहे
9. गर्मा गर्मी ही नहीं शीतलता भी आवश्यक हैं
10. गन्दगी की आदत छूटे तो कृमि कीटकों से जान बचें
11. रासायनिक आवेश हमें कठपुतली न बनाने पाये
12. कम खाये-अधिक जीयें
13. क्या सचमुच धर्म और राजनीति के दिन लद गये ?
14. हमारा दृष्टिकोण दुराग्रही न हो
15. मनोविकारों का अवरोध हमें अपंग बना देता हैं
16. उद्विग्नता ही स्वास्थ्य को चैपट करती हैं
17. देवताओं का धरती पर आगमन एक तथ्य
18. आत्मबोध-जीवन का सर्वोपरि लाभ
19. योग शब्द के अर्थ का अनर्थ न किया जाय
20. अभीष्ट फलदायिनी गायत्री माता
21. अपनो से अपनी बात
22. प्राण-प्रतिष्ठा
23. न कोई लाल होता हैं न पीला, फूल सब श्वेत होते है।
2. भावना सर्वोपरि हैं, विधि-विधान नहीं
3. सहृदयता के संवर्द्धन से ही विश्व कल्याण सम्भव होगा
4. विज्ञान और दर्शन के समन्वय की आवश्यकता
5. हमारी बुद्धिमता भयावह किस्म की मूर्खता सिद्ध न हो
6. प्रकृति का उपहार-अनुदान मक्खी जैसे जन्तुओं को भी मिला हैं
7. दधीची की पुण्य परम्परा फिर प्रचलित की जाय
8. हम पुरखों से हर क्षेत्र में पिछड़ ही नहीं रहे
9. गर्मा गर्मी ही नहीं शीतलता भी आवश्यक हैं
10. गन्दगी की आदत छूटे तो कृमि कीटकों से जान बचें
11. रासायनिक आवेश हमें कठपुतली न बनाने पाये
12. कम खाये-अधिक जीयें
13. क्या सचमुच धर्म और राजनीति के दिन लद गये ?
14. हमारा दृष्टिकोण दुराग्रही न हो
15. मनोविकारों का अवरोध हमें अपंग बना देता हैं
16. उद्विग्नता ही स्वास्थ्य को चैपट करती हैं
17. देवताओं का धरती पर आगमन एक तथ्य
18. आत्मबोध-जीवन का सर्वोपरि लाभ
19. योग शब्द के अर्थ का अनर्थ न किया जाय
20. अभीष्ट फलदायिनी गायत्री माता
21. अपनो से अपनी बात
22. प्राण-प्रतिष्ठा
23. न कोई लाल होता हैं न पीला, फूल सब श्वेत होते है।
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