बुधवार, 8 जून 2011

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1975


1. दुःख और सुख सहोदर सहचर

2. प्रकाश भरा आनन्द हमारी ही मुट्ठी में है

3. आस्तिकता मानवी प्रगति के लिए नितान्त आवश्यक

4. प्रायश्चित द्वारा पुनर्जीवन

5. विलक्षण क्षमताओं से सम्पन्न, हमारे कलपूर्जे

6. अपने ब्रह्माण्ड की जन्म और मरण

7. मानवी प्रगति का एकमात्र आधार-भाव भरा सहयोग

8. आनन्द प्राप्ति की दिशा और चेष्टा

9. विक्षुब्ध आत्मा और उसके उपद्रव

10. सुख ओर दुःख हमारी कल्पनाओं पर निर्भर हैं

11. नेत्रों की सुरक्षा इस प्रकार की जाय

12. शान्ति और प्रगति तरलता-सरलता पर निर्भर हैं

13. कल्पना नहीं तत्परता सफल होती हैं

14. आत्महीनता एक महान् व्याधि

15. विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ ही बढ़ेंगे

16. बीमारियों को हम निमन्त्रण देकर बुलाते हैं

17. आत्महत्या-मानसिक विकृति की दुःखद प्रतिक्रिया

18. टहलना एक अति उपयोगी और अति सरल व्यायाम

19. बढ़ती हुई हिंसा वृत्ति, उसका कारण ओर निवारण

20. परिवार संस्था का नवनिर्माण नारी जागरण से ही होगा

21. वधू को गृहलक्ष्मी बनाया जाय

22. सिगरेट जिसने मार्क वाटर्स को केन्सर के द्वार तक पहुँचाया

23. समय का पालन एक महत्वपूर्ण आदत

24. अपनो से अपनी बात



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