रविवार, 5 जून 2011

अखण्ड ज्योति फरवरी 1974

1. बुद्धिमता और मूर्खता की कसौटी

2. हमारा भविष्य अन्धकारमय नहीं हैं

3. आत्मा और शरीर की भिन्नता जाने ही नहीं माने भी

4. यर्थाथवादी बनें-संकल्प बल प्रखर करे

5. ब्रह्माण्डव्यापी तथ्य जिनका जीवन में भी स्थान है

6. नया स्वर्गलोक बनेगा और वहाँ जाने का रास्ता भी

7. परावलम्बन छोड़े, आत्मावलम्बन अपनायें

8. धर्म-आदर्शवादिता और एकता का प्रतीक बने !

9. सूखा आसमान भी बरस सकता हैं

10. जीवन सत्ता जड़ प्रकृति की प्रतिक्रिया नहीं हैं

11. मनुष्य पूर्वजों के ढाँचे में ढला खिलौना मात्र नहीं हैं

12. मांसाहार से लाभ कुछ नहीं, हानि बहुत हैं

13. न हर्षोन्मत्त हो न अधीर होकर रोये कलपें

14. निरंकुश बुद्धिवाद हमारा सर्वनाश करके ही छोड़ेगा

15. आकाश पर विजय किन्तु हृदयाकाश में पराजय

16. मनुष्य तो मकड़ी से भी पिछड़ा हुआ हैं

17. आवेशग्रस्त मनःस्थिति दुर्बलता की निशानी हैं

18. सम्पन्नता ही नहीं शालीनता भी बढ़ाई जाय

19. इन प्रयोजनो में तो चूहा भी मनुष्य से आगे है

20. ऊँचा उठे तो बहुत कुछ मिले

21. छोटे भी जीवित रहेंगे ही

22. शिवलिंग प्रतिमा की प्रबल प्रेरणा

23. ज्योर्तिविज्ञान का दुर्भाग्यपूर्ण दुरूपयोग

24. क्रूरता को सौजन्य जीत सकता हैं

25. ध्यानयोग-चरम आत्मोकर्ष की साधना

26. अपनो से अपनी बात

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