रविवार, 5 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1973

1. सफलता के मणि-मुक्तकों की प्राप्ति

2. तुम पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो

3. सुखाकांक्षा में भटकती अविकसित मनःस्थिति

4. सर्व ब्रह्ममयं जगत्

5. प्रतिमानव भी मिल जायगा पर हमें जीवित नहीं छोड़ेगा

6. अति सर्वत्र वर्जयेत्

7. अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता

8. खमीर आकार में छोटा उपयोग में बड़ा

9. अखण्ड आनन्द पा सकना अपने ही हाथ की बात हैं

10. सदाशयता के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धा रखें

11. काल और दिशा सम्बन्धी प्रकृति प्रेरणा

12. अन्तःस्थिति का प्रकटीकरण तेजोवलय के रूप में

13. सम्प्रदाय और राजनीति का स्थान अध्यात्म और विज्ञान को मिलेगा

14. जिन्दगी मौत से ज्यादा मजबूत हैं

15. मृत्यु का दिन विवाह जैसा आनन्ददायक

16. मारना ही नही, मरना भी सीखें

17. पक्षी कई क्षेत्रों में हमसे आगे हैं

18. अद्भुत क्षमताओं से सम्पन्न चमगादड़

19. घ्राणशक्ति का जीवन विकास में महत्वपूर्ण स्थान हैं

20. प्रकृति की क्रूर कठोरता से सावधान

21. गौ की ब्राह्मण और देवता से तुलना का आधार

22. मस्तिष्क पर कुविचारों को हावी न होने दे

23. शब्दवेधी बाण आज भी चलते हैं

24. दुनिया छोटी हो रही हैं, मनुष्य घनिष्ट हो रहा हैं

25. चिन्तन पराधीनता की विभीषिका का रोमांचकारी संकट

26. आनन्द और स्वतन्त्रता की प्राप्ति

27. अपनो से अपनी बात

28. गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न

29. चिर-आकांक्षा

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