1. ईश्वर के अनुग्रह का सदुपयोग किया जाय
2. जीवन के अपव्यय का पश्चाताप
3. ईश्वर-भक्ति और प्रेम-साधना का तत्वज्ञान
4. स्थूल को ही न देखते रहें-सूक्ष्म को भी समझे
5. पूर्वाग्रह पर अड़े रहना, बुद्धिमता नहीं
6. कलुषित अन्तःकरण स्वयं दण्ड भोगता हैं
7. बाहूबलि की दूरदर्शिता
8. त्वचा की सामर्थ्य सब इन्द्रियों से बढ़कर
9. महानता की दृष्टि से मनुष्य घास से भी छोटा हैं
10. आत्म-चेतना की सांकेतिक भाषा-स्वप्न
11. हारमोन नियन्त्रित और परिष्कृत किये जा सकते हैं
12. तप साधना ही शक्ति और सिद्धि का स्रोत हैं
13. अपने आप को पहिचानिये
14. गहन अन्तःचेतना को प्रभावित करने की आवश्यकता
15. अन्य प्राणधारी भी विभूतियों से रहित नहीं
16. सामूहिकता से सुसम्बद्ध आत्म चेतना
17. मनोबल-संकटो को पार करता हैं
18. विचार शक्ति का महत्व समझिये
19. समस्त रोगों का एकमात्र कारण-असंयम
20. मांसाहार नहीं, दुग्धाहार अपनाइये
21. अनुदान ले तो-पर उसे वापिस भी करें
22. निराशाग्रस्त-निर्जीव और निरर्थक जीवन
23. प्राणायाम द्वारा सूर्य-शक्ति का आकर्षण
24. जीवन का स्वरूप और उपयोग सिखा सकने वाली शिक्षा चाहिये
25. चरित्र, सौन्दर्य से भी श्रेष्ठ
26. अपनो से अपनी बात
2. जीवन के अपव्यय का पश्चाताप
3. ईश्वर-भक्ति और प्रेम-साधना का तत्वज्ञान
4. स्थूल को ही न देखते रहें-सूक्ष्म को भी समझे
5. पूर्वाग्रह पर अड़े रहना, बुद्धिमता नहीं
6. कलुषित अन्तःकरण स्वयं दण्ड भोगता हैं
7. बाहूबलि की दूरदर्शिता
8. त्वचा की सामर्थ्य सब इन्द्रियों से बढ़कर
9. महानता की दृष्टि से मनुष्य घास से भी छोटा हैं
10. आत्म-चेतना की सांकेतिक भाषा-स्वप्न
11. हारमोन नियन्त्रित और परिष्कृत किये जा सकते हैं
12. तप साधना ही शक्ति और सिद्धि का स्रोत हैं
13. अपने आप को पहिचानिये
14. गहन अन्तःचेतना को प्रभावित करने की आवश्यकता
15. अन्य प्राणधारी भी विभूतियों से रहित नहीं
16. सामूहिकता से सुसम्बद्ध आत्म चेतना
17. मनोबल-संकटो को पार करता हैं
18. विचार शक्ति का महत्व समझिये
19. समस्त रोगों का एकमात्र कारण-असंयम
20. मांसाहार नहीं, दुग्धाहार अपनाइये
21. अनुदान ले तो-पर उसे वापिस भी करें
22. निराशाग्रस्त-निर्जीव और निरर्थक जीवन
23. प्राणायाम द्वारा सूर्य-शक्ति का आकर्षण
24. जीवन का स्वरूप और उपयोग सिखा सकने वाली शिक्षा चाहिये
25. चरित्र, सौन्दर्य से भी श्रेष्ठ
26. अपनो से अपनी बात
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें