रविवार, 5 जून 2011

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1973

1. गलोगे तो ही उगोगे

2. बलिदान से दुर्भिक्ष निवारण

3. समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण हैं

4. अध्यात्म का आधार और परिणाम

5. मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता हैं

6. अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता-2

7. स्वर्ग और मुक्ति का लाभ-समस्त मानव समाज को मिले

8. बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय

9. मस्तिष्क की अद्भुत क्षमतायें जिन्हें जाने और बढ़ायें

10. गाने वाली बालू-एक रहस्य

11. विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय

12. हत्यारे की आत्म प्रताड़ना

13. प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत

14. कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जिये

15. अगली शताब्दी का भविष्य कथन

16. अदृश्य शक्तियों का दृश्य जगत पर प्रभाव

17. विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी

18. धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं

19. अचेतन मन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता

20. शब्द ब्रह्म की नाद साधना

21. गरीबी उदार दानवीरता में बाधक नहीं

22. असन्तुलन का तूफानी निराकरण

23. आग्नये उद्वेग का समाधान वरूण संस्कृति से

24. प्रकृति प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य

25. आत्मबोध और आत्मदेव की उपासना

26. उपवास स्वास्थ्य-रक्षा का महत्वपूर्ण आधार

27. शीतल आवरण से ही समस्वरता सम्भव हैं

28. अपनो से अपनी बात

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin