गुरू गोविंद सिंह ने अपने 16 वर्षीय बड़े पुत्र अजीत सिंह को आज्ञा दी कि तलवार लो और युद्ध में जाओ। पिता की आज्ञा पाकर अजीत सिंह युद्ध में कूद पड़ा और वहीं काम आया। इसके बाद गुरू ने अपने द्वितीय पुत्र जोझार सिंह को वही आज्ञा दी। पुत्र ने इतना ही कहा-``पिता जी प्यास लगी हैं, पानी पी लूं।´´ इस पर पिता ने कहा, ``तुम्हारे भाई के पास खून की नदियॉं बह रही हैं। वहीं प्यास बुझा लेना।´´ जोझार सिंह उसी समय युद्ध क्षेत्र को चल दिया और वह अपने भाई का बदला लेते हुए मारा गया।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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