बुधवार, 23 दिसंबर 2009

द्रष्टिकोण

एक दार्शनिक से पूछा गया-``आप इस दुखी और असंतुष्ट संसार के बीच सुखी और संतुष्ट कैसे रहते हैं ?´´ उन्होने उत्तर दिया-``मैं अपनी ऑंखो का सही उपयोग जानता हूँ । जब मैं ऊपर देखता हूं, तो मुझे स्वर्ग याद आता हैं, जहॉं मुझे जाना हैं। नीचे देखता हूं तो यह सोचता हूँ कि जब मेरी कब्र बनेगी, तो कितनी कम जगह लगेगी और जब मैं दुनिया में चारों तरफ देखता हूँ तो मुझे मालूम होता हैं कि करोड़ों मनुष्य ऐसे हैं, जो मुझसे भी दु:खी हैं। इसी तरह संतोष पाता हूँ ।´´

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