एक दिन ब्रजमोहन व्यास ने मदनमोहन मालवीय से राजनीति के संबंध में कहा कि, महाकवि माघ ने तो अपने एक ही छंद में राजनीति की व्याख्या कर दी हैं। उस छंद में उन्होंने कहा हैं कि अपना उदय और शत्रु का विनाश ही केवल राजनीति हैं। मालवीय जी की मुस्कान घृणा में बदल गई। बोले-छि: ! यह तो टुच्ची राजनीति हैं, सच्ची श्लाघनीय राजनीति तो वह हैं, जिसमें अपने साथ-साथ दूसरों का भी अभ्यूदय होता है।´´
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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