विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मंगलवार, 25 मार्च 2025
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डर के आगे जीत है
डर केवल अज्ञात में होता है। जैसे-जैसे हम उसके करीब जाते हैं, वह कम होने लगता है। डर कोई शत्रु नहीं, बल्कि एक संकेत है कि हम अपनी सीमाओं से आगे बढ़ सकते हैं। यदि हम इसका सामना करते हैं, तो यह समाप्त हो जाता है, लेकिन यदि हम इससे भागते हैं, तो यह और गहरा हो जाता है। इसलिए, डर को समझो, उससे सीखो, और उसे अपनी शक्ति में बदलो। जब हम अपने भय से दोस्ती कर लेते हैं, तो हमारे भीतर छिपा साहस जाग उठता है, जो हमें जीवन में नई ऊँचाइयाँ छूने की क्षमता देता है।
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डर को समझो, शक्ति बनाओ।
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