भारत को आज मैं उस मन:स्थिति में देख रहा हूँ, जिसमें अवतार की आकांक्षा होती है। यह जरुरी नहीं है कि मनुष्य का अवतार होगा। विचार का भी अवतार होता है। लोग समझते है कि रामचंद्र एक अवतार थे, कृष्ण-बुद्ध अवतार थे। लेकिन उन्हें हमने अवतार बनाया है। वे आपके और मेरे जैसे मनुष्य ही थे। उन्होंने एक विचार का संचार सृष्टि में किया और वे उस विचार के मूर्तरुप बन गये, इसलिए लोगों ने उन्हे अवतार माना।
भगवान किसी-न-किसी गुण या विचार के रुप में अवतार लेता है और उस गुण या विचार को मूर्तरुप देने में जिनका अधिक से अधिक परिश्रम लगता है, उन्हें जनता अवतार मान लेती है। यह अवतार मीमांसा है।
वास्तव में अवतार व्यक्ति का नहीं, विचार का होता है और विचार के तौर पर मनुष्य काम करते हैं। किसी युग में सत्य की महिमा प्रकट हुई, किसी में प्रेम की, किसी में करुणा की तो किसी में व्यवस्था की। इस तरह भिन्न-भिन्न गुणों की महिमा प्रकट हुई है।
-महात्मा विनोबा
1 टिप्पणी:
आपका ये कथन कि राम अवतार नही थे इसका अर्थ आप रामचरित मानस को झुठला रहे हैं या आप एक नास्तिक हैं।
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