संकल्प शक्ति को जागृत करना जरूरी हैं। जब संकल्प जाग जाता हैं, तब रूपान्तरण प्राप्त हो जाता हैं। जब संकल्प शक्ति नहीं जागती, तब कुछ भी नहीं बदल सकता।
एक बार की बात हैं, बड़ा भयंकर युद्व लड़ा जा रहा था। एक और विशाल सेना थी ओर दूसरी ओर छोटी सेना थी। बड़ी सेना की विशालता के आगे छोटी सेना हारने लगी, उसके मुख्य सेनापति को हार का संवाद मिल गया। वह खिन्न और चिंतातुर होकर अपने घर में बैठ गया। वह मन से हार मान रहा था। यह मान गया था कि अब लड़ने का कोई मतलब नहीं हैं। उसकी पत्नी ने उदासी का कारण पूछा। सेनापति ने पत्नी से कहा, हमारी सेना हार रही है, यह बहुत बुरी घटना हैं। यह सुनकर पत्नी ने कहा, सेना हार रही हैं, यह बहुत बुरी घटना है। लेकिन बुरी बात यह है कि आपका मनोबल टूट गया हैं, आपकी संकल्प शक्ति क्षीण हो गई हैं। यह सुनते ही सेनापति का मनोबल फिर एक बार जाग उठा। उसकी आत्मा जागृत हुईं। वह स्वयं युद्व के मैदान में आ डटा। सेनापति का संकल्प देखकर उसकी छोटी सेना ने पराक्रम दिखाना शुरू कर दिया। बड़ी सेना हार कर भाग गई। छोटी सेना जीत गई।
जब मनुष्य की संकल्प शक्ति टूट जाती है, तब रूपान्तरण की बात ही नहीं उठती और न मनुष्य के स्वभाव को बदला जा सकता हैं प्रत्येक व्यक्ति इस सच्चाई को अनुभव करे कि वह अपनी शक्ति का प्रयोग करके जो चाहे बन सकता हैं, बदल सकता हैं। स्वयं को जाने और बदलें। स्वयं को देखे और बदलें
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