महान उद्देश्य के लिये अपने छोटे से सांसारिक हित को शहीद कर देने की परम्परा का पालन करने वाले लोग ही संसार में महापुरुष हुए और मानवता को योगदान देने वाले काम कर सके । जो केवल स्त्री, बच्चे, पद-प्रतिष्ठा, धन और ऐश्वर्य की विडम्बना से चिपका रहा, वह तो संसार में व्यर्थ ही जिया और मरने वालों की एक संख्या बढ़ा गया ।
(वाङमय-५०, पृष्ठ-५.३१)
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