हम अपना दृष्टिकोण परिष्कृत करें, रीति बदलें । अनुकरणीय आदर्शवादिता के लिये दुःसाहस कर सकना न तो कठिन है, न असंभव; इसका उदाहरण हमें अपने आचरण द्वारा लोगों के सामने प्रस्तुत करना होगा । परोपदेश की प्रवीणता प्राप्त करके वाक्-विलास भर हो सकता है, उससे कुछ बनता नहीं । दूसरों को गहरी प्रेरणा देने का एकमात्र उपाय यही है कि हम अपना आदर्श प्रस्तुत करके लोगों में अनुगमन का साहस उत्पन्न करें । व्यक्तियों का परिवर्तन ही युग परिवर्तन है । (वाङमय-६६, पृ.२.११)
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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