बुराई आदमी को पहले अज्ञानी व्यक्ति के समान मिलती है और हाथ बाँधकर नौकर की तरह उसके सामने खड़ी हो जाती है । फिर मित्र बन जाती है और निकट आ जाती है । फिर मालिक बनती है और आदमी के सिर पर सवार हो जाती है एवं उसको सदा के लिये अपना दास बना लेती है । (अखण्ड ज्योति, मार्च-५३)
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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