गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1978

1. वैभव की जड़े अन्तरंग की गहराई में धँसी होती है

2. आत्मज्ञान से कल्याण

3. भगवान बुद्ध उनका मार्ग और व्यक्तित्व

4. मानवी सामर्थ्य और प्रकृति से भी बृहतर शक्ति

5. आत्म-परिष्कार की तीन सरल किन्तु महान् साधनायें

6. विषया शक्ति के मायावी घेरे

7. विज्ञान ओर अध्यात्म का समन्वय सन्निकट

8. विस्तार को नहीं स्तर को महत्व दिया जाय

9. इस संसार में रहस्य कुछ नहीं, सर्वत्र नियम और व्यवस्था ही हैं

10. प्रेम-मानव जीवन की सर्वोपरि सम्पदा

11. समर्थक सहयोगी का पातक

12. स्मरण शक्ति प्रयत्नपूर्वक बढ़ाई जा सकती हैं

13. समय और साधनों की अस्त-व्यस्तता पर भी ध्यान दे

14. दान की महिमा और भिक्षा की गरिमा

15. कर्मफल का प्रारब्ध में भुगतान

16. अनुत्तरित प्रश्न-सटीक समाधान

17. विलुप्त जीवन ही नहीं, मनुष्य भी होगा

18. अवांछनीयता को अस्वीकार कर दे

19. विग्रहों का कुचक्र और उसका निराकरण

20. प्रभावी प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता

21. संयम बनाम समर्थता बनाम सुनिश्चित जीवन

22. अपनो से अपनी बात

23. कुछ आवश्यक ज्ञातव्य एवं अनुरोध

24. मौन-भंग (कविता)

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