1. आत्मिक विभूतियों का उभार, उत्कृष्ट जीवन में
2. भगवान बुद्ध की अमृतवाणी
3. वन्दे महापुरूष ते चरणारविन्दे
4. यदि जीवन मे ईश्वर घुल जाय
5. सर्वतः पाणिपाद तत्सर्वनतोऽक्षिशिरोमुखम्
6. मायामय संसार के सुलझते हुए रहस्य
7. दुर्बुद्धि ने विज्ञान को भी अभिशाप बना दिया
8. स्वप्नो के माध्यम से सूक्ष्म जगत् में प्रवेश
9. चेतना को उर्ध्वगामी बनायें, जड़ नहीं
10. सर्वस्व त्याग का अर्थबोध
11. न यन्त्र न विज्ञान फिर भी दूरवर्ती का ज्ञान
12. अतीन्द्रिय शक्तियों का आधार हमारा मन
13. शोक का कारण व निवारण
14. मनःस्थिति सन्तुलित रखिए
15. चरित्र-निष्ठ व्यक्ति ईश्वर के समान
16. विधेयात्मक श्रद्धा-उत्कर्ष का आधार
17. जीवन कला में पारंगत वृक्ष वनस्पति
18. विज्ञान की कसोटी पर ध्यान
19. सारा शरीर ही जलमय है
20. सारे वातावरण को ही गायत्रीमय बनाना होगा
21. कुछ-जीभ की भी सुनिये, मानिये
22. अपनो से अपनी बात-इस वर्ष की सत्र श्रंखला का विवरण और आमन्त्रण
23. ध्यान आया नहीं-कविता
2. भगवान बुद्ध की अमृतवाणी
3. वन्दे महापुरूष ते चरणारविन्दे
4. यदि जीवन मे ईश्वर घुल जाय
5. सर्वतः पाणिपाद तत्सर्वनतोऽक्षिशिरोमुखम्
6. मायामय संसार के सुलझते हुए रहस्य
7. दुर्बुद्धि ने विज्ञान को भी अभिशाप बना दिया
8. स्वप्नो के माध्यम से सूक्ष्म जगत् में प्रवेश
9. चेतना को उर्ध्वगामी बनायें, जड़ नहीं
10. सर्वस्व त्याग का अर्थबोध
11. न यन्त्र न विज्ञान फिर भी दूरवर्ती का ज्ञान
12. अतीन्द्रिय शक्तियों का आधार हमारा मन
13. शोक का कारण व निवारण
14. मनःस्थिति सन्तुलित रखिए
15. चरित्र-निष्ठ व्यक्ति ईश्वर के समान
16. विधेयात्मक श्रद्धा-उत्कर्ष का आधार
17. जीवन कला में पारंगत वृक्ष वनस्पति
18. विज्ञान की कसोटी पर ध्यान
19. सारा शरीर ही जलमय है
20. सारे वातावरण को ही गायत्रीमय बनाना होगा
21. कुछ-जीभ की भी सुनिये, मानिये
22. अपनो से अपनी बात-इस वर्ष की सत्र श्रंखला का विवरण और आमन्त्रण
23. ध्यान आया नहीं-कविता
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