बुधवार, 26 जनवरी 2011

प्रसन्न रहना

प्रसन्न रहना सब प्रकार के रोगों की दवा हैं और प्रसन्न रहने के लिये आवश्यक है अपना जीवन निष्कलुष बनाया जाये। निष्कलुक, निष्पाप, निर्दोष और पवित्र जीवन व्यतित करने वाला व्यक्ति ही सभी परिस्थियों मे प्रसन्न रह सकता है। और यह तो सिद्व हो ही चुका है कि मनोविकारों से बचकर प्रसन्नचित्त मनःस्थिति ही सुदृढ स्वास्थ्य का आधार है।

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