शनिवार, 31 जुलाई 2010

सफेद और काला पत्थर

एक गरीब किसान था । उसने साहूकार से काफी पैसे कर्ज के तौर पर लेकर रख छोडा था । किसान की फसल ख़राब हो गई । वादे के अनुसार साहूकार का उधार चुकाने का समय हो गया था । किसान असमंजस में था की क्या किया जाए ?

उसकी एक बेटी थी । वह काफी समझदार थी । उसकी समझदारी से पूरा गाँव प्रभावित था । साहूकार ने किसान के सामने शर्त रखी की या तो वह सारा उधार चुका दें या फिर अपनी बेटी की शादी उसके साथ कर दे । लोगों ने इसे अन्यायपूर्ण शर्त बताया । यह देखकर साहूकार ने एक नए तरीके से अपनी बात किसान के सामने रखी ।

इसके अनुसार वह एक थैले में दो पत्थर रखेगा - एक काला और दूसरा सफेद ।

अगर काला पत्थर निकला तो उसे साहूकार के लड़की के साथ शादी करनी होगी और किसान का उधार माफ हो जायगा । सफेद पत्थर निकला तो लड़की को साहूकार से शादी नही करनी होगी और न ही उसके पिता को उधर चुकाना होगा ।यदि लड़की ने शर्त मानने से मना किया तो किसान को उधार चुकाना होगा और जेल भी जाना होगा ।

किसान और उसकी लड़की ने शर्त मान ली । सब लोग जमा हुए । साहूकार ने थैले में पत्थर डालते वक्त चालाकी दिखाई और दोनों पत्थर काले रंग के डाल दिए । लड़की ने साहूकार को यह करते हुये देख लिया । अब उसके सामने तीन रास्ते थे ।

पहला की वह चुपचाप पत्थर निकाल कर उस से विवाह कर ले और अपनी जिन्दगी अपने पिता के लिये बलिदान कर दे ।

दूसरा, वह पत्थर निकालने से मना कर दे और उसके पिता उधार चुकाए, साथ में जेल भी जाए ।

तीसरा, वह लोगों को बता दे की साहूकार बेईमानी कर रहा है, ऐसे में भी पिता को उधार तों चुकाना ही पड़ेगा ।

लड़की ने थोडी देर सोचा और पत्थर निकालने का फैसला किया । उसने थैले में हाथ डालकर पत्थर निकाला और अपनी मुट्ठी में बंद उस पत्थर को उछाल दिया । पत्थर जाकर दूर कही दूसरे पत्थरों में मिल गया । लोगों ने पत्थर पहचानने को कहा तो उसने पत्थर न पहचान पाने की असमर्थता जताने के बाद माफी मांगते हुआ कहा की थैले के अन्दर बचे पत्थर को देखकर अभी भी फैसला लिया जा सकता है । थैले के काले पत्थर को देखकर फैसला किसान और लड़की के हक में सुनाया गया ।किसान उस संकट से उबर गया ।

कभी-कभी हमें लगता है की सारे रास्ते बंद हो गए हैं , लेकिन लगातार विचार करने वालों के लिय एक रास्ता हमेशा खुला रहता है । कोई समस्या इन्सान से बड़ा नही हो सकता बशर्ते की हम उसके आगे हथियार न डालें।

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