रविवार, 5 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1973

1. साधना की तन्मयता

2. ब्रह्माण्डव्यापी चेतना में घनिष्ठता होने की सुखद सम्भावना

3. हमारे जीवन का सूर्य अस्त तो होगा ही

4. आत्मा उभयलिंगी हैं-नर और नारी भी

5. अहं के चुंगल में जकड़ा संसार

6. दयालुता का दंभ

7. स्पष्ट नास्तिकवाद बनाम प्रच्छन्न नास्तिकवाद

8. डरपोक अपना स्वास्थ्य गँवाता हैं और मनोबल भी

9. अपने को जानो, आत्मनिर्भर बनो

10. प्राणियों की अतीन्द्रिय एवं विलक्षण शक्ति

11. दिन मे दिखने वाले तारे

12. विचार शक्ति की महिमा और गरिमा समझी जाय

13. पवित्र धन जो मिल ही न सका

14. संगीत की जीवनदात्री क्षमता

15. यज्ञ की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार

16. विभूतिवान व्यक्तियों का अभिवर्द्धन आवश्यक

17. हर किसी की दुनिया उसी की विनिर्मित हैं

18. गृहस्थ और स्वावलम्बी रहते हुए योगी यति बने

19. जलती आग के ईंधन

20. वनपरी की प्रतिध्वनि

21. सीधी सरल जिन्दगी जियें, दीर्घजीवी बने

22. सत्य हमारी मान्यताओं तक ही सीमित नहीं हैं

23. योग साधना के चमत्कारी परिणाम

24. सिंह भी पालतु कुत्ते जैसे सौम्य हो सकते हैं

25. नमक बिना आसानी से रहा जा सकता हैं

26. आलस और असावधानी से अस्तित्व को खतरा

27. सीमित साधनो से असीम की खोज का दुस्साहस

28. अपनो से अपनी बात

29. बनो पुनः मेघदूत नव !

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