शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

Bat Pte ki

1- Bat Pte ki-
"A person Dreaming of an Ambition without making an Effort, is much similar to a Bird flying with wings and No Legs to Land". 
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2- British 2 Vivekanand: Cant U Wear Proper Clothes 2 b A Gentleman ? 
Swami: In Ur Culture Tailor Makes Gentlemen, Bt In Our Culture CHARACTER Makes Gentlmen. 
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3- KOI B KAMNA KISI VYADHI SE KAM NAHI H JITNI BADI KAMNA UTNI BADI VYADHI JEEW JITNI KAM KAMNA RAKHEGA USE UTNI HI SHANTI KI PRAPTI HOGI... 
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4- Choose ur Friends & ur Books carefully.
Friends influence ur Character & books influence our Thoughts. 
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5- Aaj ka happy price Menu : Pyar ki roti Chahat ki sabji Sneh ka raita Vishvas ka salad Friendship ki sweet dish.
ur Bill :1 SMS to 09929827894 
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6- BEST PHRASE BY SHAKESPEARE:
When ur friend lies to u, its not his fault ! Actually its urs.
B'coz u dint give him d proper space to tell d truth. 
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7- KUCH APRADHI BAHuT HOSHIYAR, MAHIR OR TAKATWAR HOTE H JO SAMAAJ OR KANOON DONO SE BACH JATE H PR UPAR WALE KI LAATHI SE KABHI NAHI. 
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8- "Respones" is 1 of d most powerful weapon 2 occupy a place in sm1's 'HEART'.So Alwz giv d best respones 2 d person who cares 4 u. 
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9- Baat Pate ki-
if u expect the world to be fair with u bcoz u r fair...
It's like expecting d lion not to eat u because u don't eat him. 
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10- Always have d determination of a Mirror, which nvr loses its ability to reflect in spite of it being broken into pieces.Keep shining. 
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11- "No one is rich enough to buy back his yesterday.
But if u have d attitude to do better things today, 
u will be d richest one tomorrow". 
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12- "Prasannata" aisa Chandan h, jise dusre ke 'Mastak' pr Lagane se apni Anguliyan apne aap hi Sugandhit ho Jati h. 
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13- NASAMJH OR NADAN DOOSRO K JIWAN ME KAMI DEKHTA H.
SAMJDAR OR BUDHIMAN APNE JIWAN KI KAMI DEKHTA H OR USE DOOR KARNE KA PRYAS KARTA H. 
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14- 2day, Communication is d lifeline of any relationship.
When u stop communicating, u start losing ur valuable relationships, so be in touch always. 
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15- A Bell has no sound till some1 rings it
A song has no tune till some1 sings it
So nvr hide ur feelings, bcoz it has no value till some1 feel it 
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16- Baat Pate Ki -
Kind words can be Short and Easy to speak,
but THEIR ECHOES ARE TRULY ENDLESS. 
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17- UMEED KI AEK KIRAN' KE SAHARE SARA JIWAN NIKALA JAA SAKTA H, HAR TUFAN SE LOHA LIYA JAA SAKTA H BUS JARURAT H US KIRAN KO EK MAJBOOT SADHANA KI. 
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18- SACH" Wo Daulat H Jise Pehle Kharch Kro or Zindagi Bhr Anand Pao.Or "JHUTH" Wo Karz H Jo Kuch Din Masti To Karlo Pr Zindagi Bhr Chukate Rho. 
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19- Don't choose such frnds who has reached d heights.
But choose that friends who can hold u when u fall from heights.
Bcoz LOYAL is better than Royal. 
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20- Zindgi ki uljhane shararaton ko kam kar deti h..!
Aur log samajhte h ki hum bade ho gaye h.....! 
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21- Ummid ki udan ko aise n rokiye,
irado ke chirag ko bujhne n dijiye,
saflta to khud tumhe dhund legi dosto, 
apne pnkho ko jra hwa to dijiye. 
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22- One Who Touches His Parent Foot Daily,
He Never Faces d Situation In His Life To Touch Others Foot. 
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23- "Some Flowers Grow Best in d Sun;
Others do Well in Shade.
Remember,
God Always Puts Us where v Grow d Best ." 
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24- "Zindagi Ko
Badalne Me Waqt
Nahi Lagta....
.
Par 
.
Kabhi-Kabhi
Waqt Ko Badalne
Me Zindgi Lag Jati
Hai...!!

बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

सेवाधर्म की बाधाएँ और भटकाव

बहुत से लोगों के मन में उमंगें उठती हैं पर वे यह सोचकर चुप रह जाते हैं कि अभी हम उसके योग्य नहीं। जब हम पूर्णतः योग्य और सक्षम हो जायेंगे तब सेवा करेंगे। स्मरण रखा जाना चाहिए कि आज तक संसार में पूर्णतः योग्य न हुआ है और न होगा, क्योंकि जो पूर्ण होता है वह भवबंधनों से ही मुक्त हो जाता है। उस पूर्ण पुरुष को संसार में आने की आवश्यकता ही कहाँ रह जाती है।

संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनके व्यक्तित्व में कहीं न कहीं, कोई न कोई त्रुटी अवश्य रही है। उन त्रुटियों के सुधार का प्रयत्न करते हुए भी वे सेवा के पथ पर निरंतर अग्रसर होते रहे हैं।

जिस प्रकार प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने वाला अध्यापक अनिवार्य रूप से उच्च शिक्षित कहाँ होता है। छोटे पहलवान अपने से छोटे पहलवान को पहलवानी का अभ्यास कराते हैं। कहने का अर्थ यह है कि कम बुराई वाला व्यक्ति अधिक बुराईयों वाले व्यक्ति को शिक्षा दे सकता है।

जीवन देवता की साधना - आराधना (2) - 10.11"

कार्यस्थल की सुसज्जा

अपने काम में आने वाली वस्तुओं को साफ-सुथरा रखना, उन्हें सुंदर बनाना और सजाकर रखना यह भी एक छोटा मनोरंजक कार्य है, जिससे चित्त में प्रसन्नता की लहरें उत्पन्न होती हैं। गंदी, टूटी हुई और बेतरतीब पड़े हुए कागजों वाली मेज पर काम करने की अपेक्षा एक साफ-सुथरी, सुंदर और सुसज्जित मेज पर मन अधिक लगेगा, चित्त प्रसन्न रहेगा और काम अधिक एवं उत्तमता के साथ हो सकेगा । 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. १५ "

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

एक स्थान पर कई प्रकार की चीजें एकत्रित करो, जैसे दो-तीन प्रकार की कलमें, तीन-चार तरह के फूल, कई तरह के बटन, चाकू, पिन, मिठाई की गोलियाँ आदि। आरंभ में इनकी संख्या दस-बारह होनी चाहिए। एक बार ध्यानपूर्वक इन सबको देख लो, फिर आँखें बंद करके बताओ कि कौन वस्तु कहाँ रखी हुई है ? यदि ठीक न बता सको, तो चीजों की संख्या कम कर दो और फिर उनका क्रम बताओ। जो संख्या आसानी से बताई जा सके, वहीं से धीरे-धीरे आगे के लिए अभ्यास बढ़ाना चाहिए। जैसे आज पाँच चीजों का क्रम बना सकते थे, तो धीरे-धीरे इन संख्याओं को 6, 7, 8, 9, 10, 20, 30 करते जाइए। इस प्रकार एक बार देखकर एक स्थान पर खड़े हुए मनुष्यों या वृक्षों की संख्या एवं क्रम याद रखने का अभ्यास करना चाहिए। यह स्मरण शक्ति बढ़ाने का अच्छा अभ्यास है। होशियार चोर जिस घर में घुसते हैं, एक बार दियासलाई जलाकर सारे घर को देख लेते हैं, और वहाँ का चित्र उनके मन में अच्छी तरह अंकित हो जाता है। बस फिर वे अपने पूर्व स्मरण के सहारे अँधेरे घर में सब काम ठीक-ठीक वैसे ही करते रहते है, मानों उस घर में उजाला हो। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ.35"

बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

आलस्य में न पड़े

उत्साह, चुस्त स्वभाव और समय की पाबंदी यह तीन गुण बुद्धि बढ़ाने के लिए अद्वितीय कहे गये हैं। इनके द्वारा इस प्रकार के अवसर अनायास ही होते रहते हैं, जिनके कारण ज्ञानभंडार में अपने आप वृद्धि होती है। एक विद्वान् का कथन है -कोई व्यक्ति छलांग मारकर महापुरुष नहीं बना जाता, बल्कि उसके और साथी जब आलस में पड़े रहते हैं, तब वह रात में भी उन्नति के लिये प्रयत्न करता है। 
आलसी घोड़े की अपेक्षा उत्साही गधा ज्यादा काम कर लेता है । एक दार्शनिक का कथन है - “यदि हम अपनी आयु नहीं बढ़ा सकते तो जीवन की उन्हीं घड़ियों का सदुपयोग करके बहुत दिन जीने से अधिक काम कर सकते हैं ।"

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

यह उपाय सबसे पुराना है और अब तक सबसे अधिक यही काम में लाया जाता है कि जो बात याद रखनी हो उसे बार-बार दुहराई जाये। बार-बार दुहराना, रटाई, मश्क यह शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यक विधि है। परंतु कई बार यह विधि भी व्यर्थ प्रमाणित होती। विद्यार्थी रटता है, पर वह शब्दावली याद नहीं होती, या याद भी हो जाती है, तो बहुत ही जल्द विस्मरण हो जाती है।कारण यह है कि ऐसी रटाई निरर्थक श्रेणी में चली जाती है और मनोविज्ञान का यह नियम है कि निरर्थक बातों को हम बहुत जल्द भूल जाते हैं। इसलिए रटाई सार्थक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए, ऐसा करने से यह बहुत जल्द याद हो जाएगी और बहुत दिन तक विस्मरण न होगी। जो पद्य आपको याद करना हो, पहले उसका अर्थ समझिए, इससे उसको याद करना सरल हो जायेगा। जिस विषय के ज्ञान को आप याद रखना चाहते हैं, उसके आवश्यक सूत्रों का अर्थ अच्छी तरह समझिए, उसका भाव भली प्रकार मन में लाइये। इसके उपरांत उसे बार-बार दुहराएँ। पढ़िए या रटिए, वह बात मस्तिष्क में स्थान ग्रहण कर लेगी और सार्थक होने के कारण स्मरण बनी रहेगी। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ.36" 

भूल

भूल से बुद्धि-विकास होता है। एक भूल का अर्थ है - आगे के लिए अकलमंदी। संसार के अनेक पशु भूल से विवेक सीखते हैं लेकिन मनुष्य उनसे बहुत जल्दी सीखता है। भूल का अर्थ है कि भविष्य में आप अपनी गलती नहीं दुहराएँगे। भूल से अनुभव बढ़ता है। संसार में व्यक्ति के अनुभव का ही महत्व है। अनुभव अनेक भूलों द्वारा अर्जित सद्ज्ञान है। भूल यदि दोहराई न जाय तो बुद्धि-विकास में बहुत सहायता करती है। महापुरूषों के जीवन में अनेक क्षण ऐसे आए हैं, जब वे भूलों के बल पर महान बने हैं। 

- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान औरआत्मकल्याण, पृ. १०

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

कोई ऐसा एक रंगा चित्र लीजिए, जिसमें अनेक वस्तुएँ दिखाई पड़ती हों। सीनरी के चित्र इस कार्य के लिये अच्छे बैठते हैं। एक चित्र को एक मिनट ध्यान से देखिये, फिर एक कागज पर लिखिये कि उसमें क्या-क्या चीजें देखीं ? बाद में अपने लिखे हुए कागज और चित्र का मुकाबला करके देखिये कि आप क्या-क्या बातें लिखना भूल गए हैं? अब दूसरा चित्र लीजिए और उसे देखिए तथा पूर्ववत् उसमें देखी हुई चीजों को भी लिखिए, तत्पश्चात् परीक्षा कीजिए कि अबकी बार क्या छोड़ा गया ? एक चित्र एक बार ही काम में लेना चाहिए, क्योंकि दूसरी बार कोई चीज छूटना प्रायः कठिन है। एक दिन में दो-तीन चित्रों का अभ्यास काफी होगा। यह जरूरी नहीं है कि इतने चित्र खरीदें तभी काम चले। सचित्र पुस्तकों में अनेक चित्र आते हैं, ऐसी एक किताब में कई दिन का काम चल सकता है।एक मिनट का अभ्यास ठीक हो जाए तो फिर समय घटाना चाहिए औरधीरे-धीरे एक-दो सेकंड देखकर ही चित्र का पूरा विवरण लिखने का अभ्यास करना चाहिए। 

एक रंग के चित्र के बाद बहुरंग चित्र का अभ्यास है। इसमें दीखने वाली चीजों का स्वरूप और रंग दोनों लिखते जाइये, यह दूसरा अभ्यास है। इसलिए आरंभ काल में देखने के लिए एक मिनट से कुछ अधिक समय भी लिया जा सकता है, फिर क्रमशः घटाते जावें। कुछ दिन लगातार चित्र दर्शन और लेखन का अभ्यास करने पर स्मरण शक्ति का काफी विकास हुआ मालूम होता है। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. 34"

निष्काम लोकसेवा ही पूजा

निष्काम सेवा करने से आप अपने हृदय को पवित्र बना लेते हैं। अहंभाव, घृणा, ईर्ष्या, श्रेष्ठता का भाव और इसी प्रकार के और सब आसुरी संपत्ति के गुण नष्ट हो जाते हैं। नम्रता, शुद्ध, प्रेम, सहानुभूति, क्षमा, दया आदि की वृद्धि होती है। भेदभाव मिटजाते हैं। स्वार्थपरता निर्मूल हो जाती है। आपका जीवन विस्तृत तथा उदार हो जाएगा। आप एकता का अनुभव करने लगेंगे।आप अत्यधिक आनंद का अनुभव करने लगेंगे। अंत में आपको आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। आप सब में 'एक' और 'एक' में ही सबका अनुभव करने लगेंगे। संसार कुछ भी नहीं है केवल ईश्वर की ही विभूति है। लोकसेवा ही ईश्वर की सेवा है। सेवा को ही पूजा कहते है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ७"

असफलता

लगातार असफल होने से आपको साहस नहीं छोड़ना चाहिए। असफलता के द्वारा आपको अनुभव मिलता है। आपको वे कारण मालूम होंगे, जिनसे असफलता हुई है और भविष्य में उनसे बचने के लिए सचेत रहोगे। आपको बड़ी-बड़ी होशियारी से उन कारणों की रक्षा करनी होगी। इन्हीं असफलताओं की कमजोरी में से आपको शक्ति मिलेगी। 

असफल होते हुए भी आपको अपने सिद्धांत, लक्ष्य, निश्चय और साधन का दृढ़ मति होकर पालन और अनुसरण करना होगा। आप कहिए, ‘कुछ भी हो मैं अवश्य पूरी सफलता प्राप्त करूंगा, मैं इसी जीवन में नहीं इसी क्षण आत्मसाक्षात्कार करूंगा। कोई असफलता मेरे मार्ग में रूकावट नहीं डालसकती।’ 

प्रयत्न और कोशिश आपकी ओर से होनी चाहिए। भूखे मनुष्य को अपने आप ही खाना पड़ेगा। प्यासे को पानी अपने आप ही पीना पड़ेगा। आध्यात्मिक सीढ़ी पर आपको हर एक कदम अपने आप ही रखना पड़ेगा। 

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ६"

आत्मनिर्माण की दूसरी साधना - भावनाओं पर विजय

गंदी वासनाएँ दग्ध की जाए तथा दैवी संपदाओं का विकास किया जाए तो उत्तरोत्तर आत्मविकास हो सकता है। कुत्सित भावनाओं में क्रोध, घृणा, द्वेष, लोभ और अभिमान, निर्दयता, निराशा अनिष्ट भाव प्रमुख हैं, धीरे-धीरे इनका मूलोच्छेदन कर देना चाहिए। इनसे मुक्ति पाने का एक यह भी उपाय है कि इनके विपरीत गुणों- धैर्य, उत्साह, प्रेम, उदारता, दानशीलता, उपकार, नम्रता, न्याय, सत्य-वचन, दिव्य भावों का विकास किया जाए। ज्यों-ज्यों दैवी गुण विकसित होंगे दुर्गुण स्वयं दग्ध होते जाएंगे, दुर्गुणों से मुक्ति पाने का यही एक मार्ग है। आप प्रेम का द्वार खोल दीजिए, प्राणिमात्र को अपना समझिए, समस्त कीट-पतंग, पशु-पक्षियों को अपना समझा कीजिए। संसार से प्रेम कीजिए। आपके शत्रु स्वयं दब जाएँगे, मित्रता की अभिवृद्धि होगी। इसी प्रकार धैर्य, उदारता, उपकार इत्यादि गुणों का विकास प्रारंभ कीजिए। इन गुणों की ज्योति से आपके शरीर में कोई कुत्सित भावना शेष न रह जाएगी। 

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ९"

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