1. गौ रक्षा के लिए एक महान् पुरश्चरण
2. हम वास्तविक बुद्धिमता अपनाये
3. परमात्मा का अस्तित्व और अनुग्रह
4. आत्म सत्ता और उसकी महान् महत्ता
5. मन-बुद्धि-चित्त अहंकार का परिष्कार
6. ममता हटाने पर ही चित्त शुद्ध होगा
7. वासना-त्याग के बिना चैन कहाँ ?
8. धनवान नहीं चरित्रवान होने की बात सोचिए
9. सद्ज्ञान का संचय एवं प्रसार आवश्यक हैं
10. आलस एक प्रकार की आत्म हत्या ही हैं
11. भाग्यवाद को तिलांजलि देना ही श्रेयस्कर
12. मनुष्यता को निर्दयता से कलंकित न करे
13. गौ रक्षा मनुष्य मात्र का धर्म-कर्तव्य
14. परिवार किसी उद्देश्य के लिए बसाया जाय
15. समाज सुधार के लिए प्रबुद्ध वर्ग आगे बढ़े
16. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना-आत्मकल्याण की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि साधना
17. अपनो से अपनी बात-हम घट नहीं रहे, बढ़ ही रहे हैं
2. हम वास्तविक बुद्धिमता अपनाये
3. परमात्मा का अस्तित्व और अनुग्रह
4. आत्म सत्ता और उसकी महान् महत्ता
5. मन-बुद्धि-चित्त अहंकार का परिष्कार
6. ममता हटाने पर ही चित्त शुद्ध होगा
7. वासना-त्याग के बिना चैन कहाँ ?
8. धनवान नहीं चरित्रवान होने की बात सोचिए
9. सद्ज्ञान का संचय एवं प्रसार आवश्यक हैं
10. आलस एक प्रकार की आत्म हत्या ही हैं
11. भाग्यवाद को तिलांजलि देना ही श्रेयस्कर
12. मनुष्यता को निर्दयता से कलंकित न करे
13. गौ रक्षा मनुष्य मात्र का धर्म-कर्तव्य
14. परिवार किसी उद्देश्य के लिए बसाया जाय
15. समाज सुधार के लिए प्रबुद्ध वर्ग आगे बढ़े
16. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना-आत्मकल्याण की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि साधना
17. अपनो से अपनी बात-हम घट नहीं रहे, बढ़ ही रहे हैं
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