मंगलवार, 24 मई 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1967

1. साहित्य से बढ़कर मधुर और कुछ नही

2. चरित्र निर्माण और सदाचार

3. ईश्वर-भक्ति और जीवन-विकास

4. सविता-आत्मा हमारी बुद्धि धारण करे

5. मनोनिग्रह के लिए विचार, विवेक और वैराग्य

6. सुखी जीवन की कुंजी-सुनियोजित जीवन

7. कल्याण धर्माचरण से ही होगा

8. हमारी आध्यात्मिक क्रान्ति और प्रबुद्ध व्यक्ति

9. विपत्ति से बढ़कर हितैषी नहीं

10. सुसंस्कारों से स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य की वृद्धि

11. ज्ञान के सदृश और कुछ पवित्र नहीं

12. किसी संगति में बैठने से पहले यह ध्यान में रखे

13. गुरू प्रदत्त शिक्षा-पद्धति की विशेषता

14. बुढ़ापे से टक्कर लेने के उपाय

15. व्यायाम हर व्यक्ति के लिए आवश्यक

16. गायत्री महाशक्ति का तत्वज्ञान और उसका विवेचन

17. अपनो से अपनी बात-ज्ञानयज्ञ इस युग का सबसे बड़ा परमार्थ

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