सोमवार, 12 दिसंबर 2011

जितनी बार गिरो, उतनी बार उठो...

सुप्रसिद्ध अँगरेज अभिनेता टाल्या के स्वास्थ्य और सौंदर्य से आकर्षित होकर ड़ाइरेक्टरों ने उसकी माँग स्वीकार कर ली और उसे रंगमंच पर पहुँचा दिया, किंतु उस बेचारे से न तो एक शब्द बोलते बना, न नाचते-कूदते। फिल्म ड़ाइरेक्टर नें गले की कमीज पकड़ी और झिड़ककर नीचे उतार दिया। कई अच्छे लोगों की सिफारिस के कारण एक बार फिर रंगमंच पर पहुँच तो गया, पर बेचारे की एक ड्रामे में बोलते समय ऐसी घिग्गी बँधी कि कुछ बोल ही नहीं पाया। फिल्म की आधी रीलें बेकार गई। ड़ाइरेक्टरों ने ड़ाँटकर कहा-‘‘अब दुबारा आने का प्रयत्न मत करना महाशय ?’’

और उसे ड़ाँटकर वहाँ से भगा दिया। टाल्या फिर भी हिम्मत न हारा, कुलियों जैसे सामान उठाने के छोटे-छोटे पार्ट अदा करते-करते एक दिन सुप्रसिद्ध अभिनेता बन गया। किसी ने पूछा-‘‘तुम्हारी सफलता का रहस्य क्या है ?’’ तो उसने हँसकर कहा-‘‘जितनी बार गिरो, उतनी बार उठो।यह सिद्धान्त स्वीकार कर लें तो आप भी निरंतर उठते चले जाएँगे, किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ेगी।’’

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