व्यक्ति के गुण, कर्म व स्वभाव का उत्कृष्ट होना ही उसकी आन्तरिक महानता का परिचायक हैं। अपने दैनिक जीवन में हम कितने संयमी, सदाचारी, शान्त, मधुर, व्यवस्थित, परिश्रमी,पवित्र, सन्तुलित, शिष्ट, कृतज्ञ एवं उदार हैं, इन सद्गुणों का दैनिक जीवन में कितना अधिक प्रयोग करते है, यह देख समझ कर ही किसी को, उसकी आन्तरिक वस्तुस्थिति को जाना जा सकता हैं। जिसका दैनिक जीवन फूहडपन से भरा हुआ हैं वह कितना ही जप, ध्यान, पाठ स्नान करता हो आध्यात्मिक स्तर की कसौटी पर ठूँठ या छूँछ ही समझा जायेगा।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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