गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

महानता का परिचायक

व्यक्ति के गुण, कर्म व स्वभाव का उत्कृष्ट होना ही उसकी आन्तरिक महानता का परिचायक हैं। अपने दैनिक जीवन में हम कितने संयमी, सदाचारी, शान्त, मधुर, व्यवस्थित, परिश्रमी,पवित्र, सन्तुलित, शिष्ट, कृतज्ञ एवं उदार हैं, इन सद्गुणों का दैनिक जीवन में कितना अधिक प्रयोग करते है, यह देख समझ कर ही किसी को, उसकी आन्तरिक वस्तुस्थिति को जाना जा सकता हैं। जिसका दैनिक जीवन फूहडपन से भरा हुआ हैं वह कितना ही जप, ध्यान, पाठ स्नान करता हो आध्यात्मिक स्तर की कसौटी पर ठूँठ या छूँछ ही समझा जायेगा।

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