गुरुवार, 20 अक्टूबर 2011

‘‘ हमारे परमपूज्य गुरुदेव ’’

तृष्णा और वासना से छुटकारा पाने का नाम हम मुक्ति मानते है। सो उसे प्राप्त कर चुके। उच्च आदर्शो के अनुरुप जीवन-पद्धति बनाये रहने, दूसरों में केवल अच्छाई देखने, और सबमें अपनी ही आत्मा देख कर असीम प्रेम करने की तीन धाराओं का संयुक्त स्वरुप हम स्वर्ग मानते रहे है। सो उसका रसास्वादन चिरकाल से हो रहा है। अब न स्वर्ग जाने की इच्छा हैं न मुक्ति पाने की।-‘‘ हमारे परमपूज्य गुरुदेव ’’

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