रविवार, 23 अक्तूबर 2011

प्रेम

अन्तरात्मा में प्रकाश उत्पन्न करने वाला तत्व प्रेम हैं। समस्त सत्प्रवर्त्तियाँ उसी की सहचरी हैं। कृष्ण चरित में जिस रास और महारास का आलंकारिक रुप से सुविस्तृत और आकर्षक वर्णन हुआ हैं , उसमें प्रेम तत्व को कृष्ण के रुप में और सत्प्रवर्त्तियों को गोपियो के रुप में चित्रित किया गया हैं। एक प्रेमी और अनेक प्रेमिकाए। यह आश्चर्य अध्यात्म जगत में सम्भव है।

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