गायत्री माता के पाँच मुख और दस हाथ आलंकारिक दृष्टि से चित्रित किये जाते है। कितनी ही मूर्तिया तथा तस्वीरे इस प्रकार के चित्रण सहित मिलती है। यह पाँच मुख अन्नमय कोष, मनोमय कोष, प्राणमय कोष, विज्ञानमय कोष, और आनन्दमय कोष है। दस भुजायें उपर्युक्त पाँच ज्ञानेन्द्रियों, पाँच देवियो और पाँच मानस तत्व से सम्बन्धित पाँच देवता हैं, इन दोनो को मिलाकर गायत्री की दस भुजायें बनती है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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